M.A. Bhojpuri 2nd Year Important Question 2024

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Bhojpuri Question Paper

M.A. Bhojpuri 2nd Year Question Paper 2023-24 (एम ए भोजपुरी साहित्य के प्रश्न (पार्ट 2)


प्रथम सेट क्वेश्चन पेपर 2024 (मॉडल सेट पेपर 2024)

  • आधुनिक भोजपुरी कविता में गजल अथवा दोहा विधा के परम्परा आ विषय-वस्तु के उद्धरण सहित विवेचन करीं।
  • आधुनिक भोजपुरी कविता के काल विभाजन आ नामकरण के का आधार बा ? एकर व्यापक समीक्षा उदाहरण सहित प्रस्तुत करीं ।
  • उमाकान्त वर्मा के कहानी-कला के विवेचन करीं ।
  • भोजपुरी कहानी साहित्य के परम्परा पर व्यापक प्रकाश डालीं ।
  • भोजपुरी उपन्यास साहित्य के विशेषता पर प्रकाश डालीं ।
  • योगेन्द्र प्रसाद सिंह के उपन्यास 'फुलमतिया' के मूल्यांकन करीं ।
  • डा० विवेकी राय के निबन्ध कला के विवेचन करीं ।
  • 'बिरजु के बिआह' नाटक के परिचय दीं आउर नाटक परम्परा में एकर स्थान बताई ।
  • भोजपुरी आलोचना साहित्य के विशेषता पर एगो लमहर निबन्ध लिखीं ।
  • टिप्पणी लिखीं:- (क) भोजपुरी में पुस्तक समीक्षा (ख) भोजपुरी काव्य में प्रकृति
  • भाषा विज्ञान के प्रधान आ गौण शाखा के विवेचन करी ।
  • भाषा के उत्पत्ति से सम्बन्धित विभिन्‍न सिद्धान्त के समीक्षा करीं |
  • ध्वनि परिवर्तन से का तात्पर्य बा? ध्वनि परिवर्तन के कारण सोदाहरण लिखीं ।
  • वाक्य प्रकारन पर प्रकाश डालीं ।
  • अर्थ परिवर्तन के उदाहरण सहित कारण लिखीं ।
  • भाषा परिवार के का मतलब ह? भाषा परिवार के भीतर भोजपुरी के स्थान बताई ।
  • “बिहारी भाषा” से रठआ का समझत हई। एकर नाम “बिहारी भाषा” काहे पड़ल?
  • भोजपुरी में संज्ञा पद के स्त्रीलिंग बनावे के विभिन्‍न पद्धति पर विचार करीं ।
  • देवनागरी लिपि के विशेषता पर प्रकाश डालीं ।
  • निम्न शब्दन के व्युत्पति बताई- बेरा, चलिहे, अइसन, घरहि, आजु, घडी, तोड, अउरि।
  • रेखाचित्र के रूप में 'सुरतिया ना बिसरे' ग्रंथ के आलोचनात्मक परीक्षण करीं ।
  • खॉटी राजपूत” आ 'जगतपती बैद्य' शीर्षक रेखाचित्र के कथ्य के परिचय दी ।
  • सुरता के पथार' संस्मरण केमुख्य भाव अपना शब्दन में लिखीं ।
  • साहित्य विधा के रूप में रेखाचित्र आ संस्मरण के बीच भेद के रेखांकित करीं ।
  • यात्रा वर्णन के इतिहास संक्षेप में लिखीं ।
  • उत्तरी सीमा के रक्षक: बाबा सोमेस्वर नाथ' के विषय वस्तु से परिचित करवाई ।
  • आचार्य महेन्द्र शास्त्री के व्यक्तित्व के परिचय दीहीं ।
  • आचार्य महेन्द्र शास्त्री के वैयक्तिक विचार के परिचय दीहीं ।
  • 'ऐनक' में वर्णित लोकहित के विषयन के समालोचना प्रस्तुत करीं ।
  • पाश्चात्य काव्य शास्त्र के विकास प एगो छोट निबन्ध लिखीं ।
  • अरस्तू के अनुकरण सिद्धान्त के मौलिकता के रेखांकित करत ओकर विश्लेषण करीं ।
  • भारतीय रस सिद्धान्त (साधरणीकरण) के संदर्भ में अरस्तू के विरेचन सिद्धान्त के विश्लेषण करीं ।
  • टी० एस० इलियट के परम्परा आर वैयक्तिक प्रज्ञा विषयक विचारनि के विवेचन करीं ।
  • सम्प्रेषण के भाषिक तंत्र प विचार करीं ।
  • “सम्प्रेषण एगो अचेत क्रिया ह“-रिचर्ड्स के एह कथन के समीक्षा करीं ।
  • अभिव्यंजनावाद सिद्धान्त एगो व्यापक काव्य-सिद्धान्त हवे एह कथन के मीमांसा करीं ।
  • कॉडवेल के कविता सम्बन्धी मान्यता पर विचार निरूपित करीं ।
  • फ्रायड आ मार्क्स के कला सम्बन्धी मत के अपना भाषा में उपस्थिपित करीं ।
  • भारतीय काव्याचार्य लोग के मत के उल्लेख करत, महाकाव्य के सैद्धान्तिक परिचय दी ।
  • भोजपुरी प्रबंध काव्य के काल क्रमिक परिचय दीं, आ ओकरा उद्भव अउर विकास के रेखांकित करीं।
  • महाकाव्य के दृष्टि से 'कालजयी कुँवर सिंह' महाकाव्य के समीक्षा करीं |
  • बुद्धायन' के शिल्पगत परिचय देत ओकरा भाषिक संरचना पर विचार करीं ।
  • 'द्रौपदी' के कथावस्तु आ चरित्र पर एगो लमहर लेख लिखीं|
  • कबीरदास एगो आध्यात्मिक संत रही, उदाहरण के साथ स्पष्ट करी ।
  • “बटोहिया' गीत के समीक्षा करीं ।
  • रामदेव द्विवेदी अलमस्त' के व्यक्तित्व आ कृतित्व के विवेचन करीं ।
  • 'शरद' शीर्षक कविता में भाव पक्ष प्रधान बा कि कला-पक्ष ? उदाहरण देत स्पष्ट करी ।
  • 'फन कढ़ल पुरवइया' कविता में प्रकृति के वर्णन कइसन भइल बा ? उदाहरण सहित लिखी ।
  • उपन्यास के कथानक के निर्माण के प्रक्रिया पर प्रकाश डालीं ।
  • भोजपुरी उपन्यास के विकास के एगो संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करीं ।
  • 'फुलसुंघी' नाम के औचित्य पर आपन विचार तर्क॑पूर्ण ढंग से लिखीं ।
  • 'फुलसुंघी' के भाषा आ संवाद योजना के समीक्षा करीं ।
  • 'फुलसुंघी' के नायक के हो सकत बा ? तर्क के साथ विवेचन करीं ।
  • 'इमरीतिया काकी' उपन्यास के संक्षिप्त कथानक प्रस्तुत करीं ।
  • 'इमरीतिया काकी' के उद्देश्य पर एगो निबंध लिखीं ।
  • इमरीतिया काकी के चरित्र-चित्रण करीं ।
  • 'ग्रामदेवता' के शिल्प-योजना पर प्रकाश डालीं ।
  • ग्रामदेवता के वस्तुपरक विशेषतन पर प्रकश डालीं ।
  • भोजपुरी नाटक के सन्‌ 4947 से 4974 ई० के विकास के संक्षिप्त परिचय दीं ।
  • लोककलाकार भिखारी ठाकुर के समय के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक आ सांस्कृतिक परिवेश के आकलन करी ।
  • बिदेसिया' के गीत योजना पर प्रकाश डालीं ।
  • “बिदेसिया' एगो बहू उद्देशीय रचना बा” प्रमाणित करू ।
  • 'केहु न हमार' नाटक में मानवतावाद के स्थापना भइल बा, ओकरा के विस्तार से लिखीं ।
  • केहु न हमार' से का सीख मिलता । विस्तार से लिखीं ।
  • 'शुरूआत' के कथानक के प्रस्तुत करीं ।
  • 'शुरूआत' के रंगमंचीय स्थिति पर विचार करीं ।
  • हाथी के दाँत' में व्यक्त लेखक के विचार के प्रस्तुत करीं ।
  • बाल्मीकीय रामायण के परिचय दीं ।
  • संस्कृत के लौकिक साहित्य के परिचय दीं ।
  • संस्कृत गीति काव्य-परम्परा के परिचय दीं ।
  • मलयालम भाषा के नाटकन के विवरण दीं ।
  • कन्‍नड़ आलोचना पर एगो निबंध लिखीं ।
  • गांधी-युग नामकरण के औचित्य पर विचर करते हुए एह युग के साहित्यकारन के परिचय दीं ।
  • चैतन्य पूर्व युग के कवियन के परिचय दीं ।
  • उर्दू के हास्य-व्यंग्य साहित्य के परिचय दीं ।
  • कबीर ज्ञानाश्रयी शाखा के श्रेष्ठ कवि रहनी' एकर विवेचना करीं ।
  • हिन्दी उपन्यास के विकास पर प्रकाश डालीं ।


द्वितीय सेट क्वेश्चन पेपर 2024 (मॉडल सेट पेपर 2024)

  • आधुनिक भोजपुरी कविता के काल विभाजन आ नामकरण के का आधार बा? एकर व्यापक समीक्षा उदाहरण सहित प्रस्तुत करीं।
  • आधुनिक भोजपुरी कविता में स्वतंत्रता-पूर्व राष्ट्रीय चेतना आ देश भक्ति भावना के सोदाहरण विवेचन करी।
  • भोजपुरी कहानी साहित्य के प्रमुख चार कहानीकार के परिचय दीं।
  • कहानीकार मधुकर सिंह के कहानी कला के विवेचन करीं।
  • भोजपुरी के पहिलका उपन्यासकार के है? उहाँ के परिचय दीहीं।
  • भोजपुरी निबन्ध के उद्गम आ विकास पर एगो निबंध लिखीं।
  • भोजपुरी नाटक के परिचय दीं।
  • नाटककार के रूप में सुरेश कांटक के परिचय दीं।
  • भोजपुरी के प्रमुख पत्रिकन के परिचय दीं।
  • भोजपुरी आलोचना साहित्य के विकास प एगो लमहर निबन्ध लिखीं।
  • भाषा के वैज्ञानिक परिभाषा लिखीं आ ओकर विश्लेषण करीं।
  • कब बोली भाषा बन जाले? भाषा आ बोली में अंतर स्पष्ट करीं।
  • ध्वनि परिवर्तन से का तात्पर्य बा? ध्वनि परिवर्तन के कारण सोदाहरण लिखीं।
  • वाक्य प्रकारन पर संक्षिप्त प्रकाश डालीं।
  • शब्द आ पद के साम्य वैषम्य पर प्रकाश डालीं।
  • बिहारी भाषा के भौगोलिक क्षेत्र आ ओकर उत्पत्ति पर प्रकाश डालें।
  • मैथिली विभाषा या बोली के भेदन पर संक्षेप में प्रकाश डाली।
  • भोजपुरी भाषा में शब्दन के मानकीकरन आ एकरूपता में कवन-कवन बाधक बा।
  • धातु के केतना भेद होला? सिद्ध धातु, साधित धातु आ नाम धातु से का समझत हई?
  • भोजपुरी शब्दन के व्युत्पत्ति बताई - चलिहे, बेरा, एने, इहवाँ, तहवाँ, जहवाँ, कुजुन, चलीं।
  • “सुरतिया ना बिसरे” रेखाचित्र के दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक संदर्भ पर प्रकाश दीहीं।
  • “एह (सुरतिया ना बिसरे) रेखाचित्र समाज में मानव के आसपास घटेवाली घटना के उपर लिखल गइल बा“-एह कथन की सत्यता के परीक्षा करीं।
  • “सुरतिया न बिसरे” के कौनो दो रेखाचित्र के सारांश आ उद्देश्य पर प्रकाश डालीं।
  • “सुरथा के पथार” संस्मरण के मुख्यभाव अपना शब्द में लिखीं।
  • साहित्य के विधा के रूप में संस्मरण आ जीवनी के बीच भेद के रेखांकित करीं।
  • शैली आ शिल्प की दृष्टि से यात्रा वर्णन के विभिन्‍न रूपन के परिचय दीहीं।
  • “सासाराम” आ “ई राँची ह” के विषय वस्तु पर प्रकाश दीहीं।
  • आचार्य महेन्द्र शास्त्री के सामाजिक विचार के परिचय दीहीं।
  • रिपोर्ताज के विशेषता का परिचय दीहीं।
  • शाहबादी जी के रचना “ऐनक' में प्रकृति वर्णन के परिचय दीहीं।
  • पाश्चात्य काव्य शास्त्र के विकास पर एगो छोट निबन्ध लिखीं।
  • अरस्तू के अनुकरण सिद्धान्त के स्पष्ट करीं।
  • अरस्तू के विरेचन सिद्धान्त के समीक्षा करीं।
  • “परम्परा बोध ना ता रूढ़ि के पालन ह अ ना व्यैक्तिक प्रज्ञा के विरोधी”- इलियट के एह कथन के तर्कपूर्ण विवेचन करीं।
  • आई० ए० रिचर्ड्स के मूल्य-सिद्धान्त के विवेचन करीं।
  • “अभिव्यंजना सिद्धांत एगो व्यापक काव्य-सिद्धान्त हवे“, एह कथन के विश्लेषण करी।
  • भाषापरक दृष्टि से काडवेल के विचार निरूपित करीं।
  • कला के वर्गीकरण प आपन अभिमत व्यक्त करीं।
  • प्रतीक के महत्त्व बतावत परम्परागत प्रतीक से ओकर सम्बन्ध रेखांकित करी।
  • शैली विज्ञान के अवधारणा के स्पष्ट करी।
  • प्रबंध काव्य के अवधारणा पर विचार करत ओकरा भेदन के संक्षेप में परिचय दीं।
  • भोजपुरी प्रबंध काव्य के रस-विधान आ भाषिक संरचना पर आपन विचार प्रस्तुत करीं।
  • “कालजयी कुँवर सिंह” महाकाव्य के समीक्षा भारतीय काव्य शास्त्रीय निकष पर करीं।
  • “विश्वमित्र” के वस्तुशिल्प आ भाषिक संरचना के विशेषता के रेखांकित करीं।
  • “द्रौपदी” के कथावस्तु आ चरित्र पर एगो लगहर लेख लिखीं।
  • "आगि लागे बनवाँ जरे परवतवा” पद के भावार्थ अपना भाषा में लिखी।
  • “फिरंगिया” कविता के विशेषता रेखांकित करीं।
  • संत कवि धरनीदास के अध्यात्मिक पक्ष के वर्णन करीं।
  • तैयब हुसैन पीड़ित के साहित्यिक विशेषता बतलायी।
  • सप्रसंग व्याख्या लिखी:- (क) तोहरो दरद दुनिया तनिको ना बूझे, कहेले गँवार तोहके झूठहूँ के जूझे, जवने में न बस कवनो ओ मे कवन चारा।। (ख) सुन्दर सुथरभूमि भारत के रहे रामा, आज इहे भइल मसान रे, अन्न, धन, जन, बल, बुद्धि सब नासभइल, कौनो के ना रहल निसान रे फिरंगिया।।
  • उपन्यास के वर्गीकरण के विभिन्‍न दृष्टियन पर विचार करीं।
  • भोजपुरी उपन्यास का विकास के एगो संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करीं।
  •  “फुलसुंधी” सामन्ती प्रेम कथा ह। एह कथन के समीक्षा करीं।
  • “फुलसुंधी” के गुलजारी बाई नारी-त्रासदी के उदाहरण बाड़ी-एह कथन पर अपना विचार लिखीं |
  • स्व0 रामनाथ पाण्डेय के व्यक्तित्व आ कृतित्व के आकलन करीं।
  • “इमरीतिया काकी” के उद्देश्य पर एगो लघु निबंध लिखीं।
  • “इमरीतिया काकी” समकालीन समस्या से जुड़ल उपन्यास बा। एह कथन के स्पष्ट करीं।
  • “ग्राम देवता” का शीर्षक के औचित्य पर प्रकाश डाली।
  • “ग्राम देवता” के संवाद-योजना पर आपन विचार दीहीं।
  • महेन्द्र मिसिर, जोगावन पाण्डे, हरख नारायण मौर्य एडवोकेट में से कवनो एक गो पात्र के चत्रिण-चित्रण करीं।
  • नाटक में गीत-नृत्य के महत्त्व पर प्रकाश डालीं।
  • भिखारी ठाकुर रचित “बिदेसिया” के कथानक अपना शब्द में प्रस्तुत करी।
  • “बिदेसिया” के गीत-योजना पर प्रकाश डाली।
  • “केहू ना हमार” नाटक के शिल्प एवं अभिनेता के समीक्षा करी।
  • “केहू ना हमार” नाटक में आज के गाँव के छल-कपट के बरनन भइल बा, समझा के लिखी।
  • “शुरूआत” के कथानक के आलोचनात्मक रूप में प्रस्तुत करी ।
  • “शुरूआत” के रंगमंचीय स्थिति पर विचार प्रकट करीं।
  • “हाथी के दाँत” नाटक के नामकरण के सार्थकता पर विचार करीं।
  • संस्कृत के महाकाव्यन के परिचय दीहीं।
  • संस्कृत के नाट्य साहित्य के परिचय दीहीं।
  • मलयालम के कहानियन के इतिहास लिखीं।
  • वीर शैवयुग (कन्नड़) के काव्य के परिचय दी।
  • गुजराती साहित्य के वैष्णव भक्तिधारा के कवियन के परिचय दी।
  • बंगला के प्रमाख्यान-काव्य के परिचय दी।
  • उर्दू के कहानी-साहित्य के परिचय दी।
  • “तमिल साहित्य में भक्ति साहित्य” के परिचय दी।
  • छायावाद के सामान्य प्रवृत्ति के उद्घाटन करीं।
  • हिन्दी साहित्य के कौनो दू गो उपन्यास लेखक के सामान्य परिचय दीं।

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