M.A. 1st Year Bhojpuri Important Questions 2024

Today you will get the m.a 1st year Bhojpuri important questions 2024 set for preparing examinations. 

These questions have already been asked in the past Bhojpuri question paper and given in the question bank too.

But you will get the collection of those questions, which are repeatedly asked in the examination paper. 

These are the best guess questions for making notes and examination preparation. 

The university changes the pattern of questions every year.

So, you should be ready to handle that type of change in the examination hall. 

Basically Bhojpuri bhasha speaks in Bihar and Uttar Pradesh (India) on a large scale.

The word Bhojpuri was formed based on Bhojpur. 

This is the ancient district of Bihar state. "Raja Bhoj" had named this district Bhojpur. 

You can say that Bhojpuri is an Aryan language and it is spoken in western Jharkhand, Bihar, Uttar Pradesh, the north-eastern part of Chhattisgarh state, Madhya Pradesh as well as the Terai region of Nepal.

Basically, This is an independent language.

Now come to the point. 

If you want to start the preparation for the examination, then focus on solving this 'm.a. 1st year question paper Bhojpuri'.

This Bhojpuri Question set is not very hard, you have to learn the related chapters from your textbook.

Then start to solve these Bhojpuri model paper questions. Write down these questions in your copy. 

Now start to write the answers to Bhojpuri subject questions in your own wards. 

This process helps you to memorize and revise the answer in a short time.


M.A. 1st Year Bhojpuri Question Paper

एम ए भोजपुरी साहित्य के प्रश्न पार्ट 1 

  • साहित्येतिहास कला ह कि विज्ञान? विवेचन करीं ।
  • साहित्येतिहास के पाश्चात्य-दृष्टि पर एगो निबंध लिखीं ।
  • भोजपुरी के आदिकालीन साहित्य के पृष्ठभूमि के परिचय दीहीं ।
  • सिद्ध साहित्य के वर्ण्य-विषय पर प्रकाश डाली ।
  • 'नाथ' शब्द से रऊआ का समुझतानी? नाथ-साहित्य के सिद्धान्त पक्ष के विवेचना करीं ।
  • भक्तिकाल के स्वर्णयुग काहे कहल जाला? तर्क॑पूर्ण उत्तर दीहीं ।
  • भोजपुरी संत साहित्य के मूल तत्त्व प्रकाश डालीं ।
  • संतसाहित्य के प्रमुख कवियन (कबीर के आतिरिक्त) के विचार धारा पर प्रकाश डालीं ।
  • साधनात्मक रहस्यवाद के स्वरूप पर प्रकश डालीं ।
  • सरभंग सम्प्रदाय के भक्ति-भावना के विवेचन करीं ।
  • अवधी भाषा के संक्षिप्त व्युत्पत्तिगत परिचय दीहीं ।
  • समकालीन अवधी कविता पर एगो निबंध लिखीं ।
  • विद्यापति प टिप्पणी लिखीं ।
  • मैथिली उपन्यास के विकास प चर्चा करीं ।
  • मगही भाषा के नामकरण आ विकास यात्रा पर एगो निबंध लिखीं ।
  • मगही लोक साहित्य पर एगो निबंध लिखीं ।
  • बज्जिका के ध्वनि, ध्वनि-भेद आ ध्वनि परिवर्तन के बारे में बताई ।
  • बज्जिका के प्राचीन साहित्य के परिचय दीं ।
  • अंगिका के कृदन्त आ अव्यय के बारे में बताई ।
  • अंगिका के आधुनिक साहित्य का विविध विधन से परिचय कराई ।
  • 'भारतीय काव्य शास्त्रनि के एगो लमहर परम्परा बा" एह कथन के सत्यापित करीं ।
  • काव्य के प्रमुख भेदनि के आलोक में मुक्तक आ महाकाव्य प प्रकाश डालीं ।
  • काव्य-उत्पत्ति के कारणनि प प्राचीन काव्य-शास्त्रज्ञनि का मतनि के आधार प चरचा करी ।
  • काव्य का आत्मा के सम्बंध में भारतीय आचार्यनि के मतनि का आलोक में एगो संतुलित विचार राखी ।
  • लक्षणा शब्द-शक्ति के परिभाषा देत ओकर मुख्यमभेदनि के सोदाहरण बताई ।
  • अलंकार सम्प्रदाय प एगो लघु निबंध लिखीं ।
  • वक्रोक्ति-सिद्धान्त का संदर्भ में आचार्य कुंतक के महत्त्व अंकित करीं ।
  • ध्वनि-सिद्धान्त के प्रमुख सिद्धान्त आ ओकर मान्यता प विचार करीं ।
  • रस सिद्धान्त के महत्त्व, व्यापकता आ एह सम्बंध में आधुनिक दृष्टिकोण का चरचा करीं ।
  • नीचा लिखल छंदनि के लक्षण आ मात्रा बताई - गीतिका, चौपाई, सोरठा, मन्दाक्रांता
  • आलोचना का प्रकार पर प्रकाश डालीं ।
  • आलोचना के परिभाषा आ स्वरूप पर विचार करीं ओकरा उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताई ।
  • भोजपुरी के व्यावहारिक आलोचना के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालीं ।
  • भोजपुरी के सैद्धान्तिक आलोचना में डॉ० विश्व रंजन के योगदान के प्रस्तुत करीं ।
  • भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका' में प्रकाशित पुस्तक-समीक्षा के परिचय सोदाहरण देत ओकर योगदान के चर्चा करीं ।
  • भोजपुरी आलोचना के विकास में शोध-प्रबन्ध के योगदान पर प्रकाश डालीं ।
  • डॉ० उदयनारायण तिवारी के आलोचना पद्धति पर विचार करीं ।
  • पं० गणेश चौबे जी के आलोचनात्मक योगदान के संक्षिप्त ब्यौरा दी आ उनका आलोचना पद्धति के विशेषता बतलाई ।
  • महेश्वराचार्य जी के भिखारी साहित्य पर कइल गइल समीक्षा कार्य के विवरण देत, समीक्षा के विशेषता के रेखांकित करीं ।
  • डॉ० तैयाब हुसैन 'पीड़ित' के प्रगतिवादी समीक्षा के परीक्षण करीं ।
  • प्रयोजनमूलक भासा आ साहित्यिक भासा में अन्तर बताई |
  • अनुवाद के प्रक्रिया पर प्रकाश डाली ।
  • शब्दानुवाद आ भावानुवाद में का अन्तर बा?
  • पारिभाषिक शब्द से का समझत बानी ? ओकर विशेषता पर प्रकाश डालीं ।
  • संक्षेपण के अर्थ आ विधि पर प्रकाश डालीं ।
  • निम्नलिखित में से कोनो दो के पल्‍लवित करीं - (क) चरित बल सबसे बड़ बल हे (ख) जीव न लहै सुख हरि प्रतिकूला (ग) अनेकता में एकता (घ) उद्योग सफलता की जननी है
  • कार्यालय टिप्पणी के विभिन्‍न रूपन पर प्रकाश डालीं ।
  • जनसंचार के का अर्थ होला ? ओकर प्रमुख भेदन पर संक्षेप में प्रकाश डालीं ।
  • "संवाद” आ 'पटकथा' से का समझत हई । एकर फिल्म में का महत्त्व होला?
  • इम्तिहान सम्बंधी जानकारी खातिर अपना दोस्त के चिट्ठी लिखीं ।
  • लोक साहित्य के संक्षिप्त परिचय दीहीं ।
  • लोक साहित्य शिष्ट साहित्य के मानदण्डों पर खर्रा बा' अपना तर्क॑पूर्ण विचार के प्रस्तुत करीं ।
  • लोक कथा के परिभाषा देत एकर वैशिष्ट्य आ वर्गीकरण प्रस्तुत करीं ।
  • लोकनादूय परम्परा पर प्रकाश डालीं ।
  • संस्कार का ह? भोजपुरी क्षेत्र के आजो प्रचलित संस्कार का बा आ ओकर महत्त्व पर प्रकाश डालीं ।
  • ऋतु गीतन के महत्त्व का, विविध ऋतुअन में गावल जायवाला लोकगीतन के विषय में संक्षिप्त टिप्पणी सोदाहरण लिखीं ।
  • बेटी के बिदाई' से सम्बंधित कवनो संस्कारगीत के महत्व सोदाहारण प्रस्तुत करीं ।
  • लोकगाथा के वर्गीकरण पर निबंध लिखीं ।
  • कथा साहित्य में लोककथा के स्थान निरूपित करीं ।
  • भोजपुरी लोक गीतन में संस्कृति' विषय पर निबन्ध लिखीं ।
  • भोजपुरी कहानी के विरासत के रूप में जवन परम्परा मिलल बा, ओकरा पर एगो लघु आलेख प्रस्तुत करी |
  • कहानी के कथानक के उपयोगिता आ महत्त्व पर प्रकाश डालीं ।
  • प्रगतिशील कहानी के मुख्य गुण-दोष के विवेचन करीं ।
  • अपना घर के आदमी' के उद्देश्य पर आपन विचार प्रस्तुत करीं ।
  • 'भैरवी के साज' कहानी के कथावस्तु लिखीं ।
  • 'एगो आउर अभिमन्यु" के नायक के चरित्र-चित्रण करीं ।
  • 'मूस बिलाई के खेल' के शीर्षक की सार्थकता के विवेचन करीं ।
  • कहानीकला की दृष्टि से 'कोढ़' कहानी के समीक्षी करीं ।
  • भूतहा पीपर' के संरचना शिल्प पर प्रकाश डालीं ।
  • सप्रसंग व्याख्या करीं - (क) “का करब रउरा अतना कुल्हि राख के । के बा रउरा ? काहे माया में फँसल बानी? रामो जी त कोल-भील-बानर का हित में काम कइले | रउरा जस गवाये लागी अगर...” (ख) प्रायः अइसन हालत में परनी के छठवाँ इन्द्रिय जाग जालाआ ऊ पति पर आवत संभावित खतरा के तुरंत भाँप जाले | बाकी अइसन कुछ भइल ना । उल्टे रेखा का तरफ से राह शह लागल |
  • भोजपुरी के विकास में कवन सभ विद्वान के योगदान बा ? ओह सभन के संक्षिप्त परिचय दीहीं।
  • डॉ० उदयनारायण तिवारी के साहित्यिक व्यक्तित्व पर प्रकाश डालीं ।
  • भोजपुरी भाषा के एकरूपता खातिर गणेश चौबे के दीहल सुझाव पर प्रकाश डालीं ।
  • 'कजली बनारस क' निबंध के विशेषता अपन भाषा में लिखीं ।
  • जूता पूराना भइला पर ओकरा के काहे राखल जाई आ कवना विधि से बचावल जाई? पाठ के अनुसार लिखीं।
  • डॉ० विवेकी राय 'खटिया' के काहे तमोगुनी कहत बानी ? एक पर प्रकाश डालीं ।
  • "पानी" निबंध के समीक्षा करीं ।
  • “पुल कमजोर बा" के सामाजिक, दार्शनिक पक्ष या संदर्भ उजागर करीं ।
  • 'समुंदर के हलफन से भिडत' निबन्ध के धार्मिक संदर्भ का बा? विस्तार से लिखीं ।
  • समकालीनता पाठ के आधार पर समकालीन साहित्य के विशेषता अपना शब्दन में लिखीं ।

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